गर्जिया देवी माता की स्थापना कैसे हुई :
हजारों साल पहले एक मिट्टी का बड़ा सा टीला कोशी नदी के साथ बहकर आया और
बटुक भैरव देवता उस टीले में विराजमान गर्जिया माता को देखकर उन्हें रुकने को कहते हैं, बहन ठहरो और यहां मेरे साथ निवास करो। हजारों साल पहले बटुक भैरव द्वारा रोका हुआ, आज भी यह टीला जों का त्यों ही बना हुआ है जहां गिरिराज हिमाले की पुत्री गिर्जिया देवी निवास करती है जिन्हे हम माता पार्विती का एक दूसरा रूप कहते हैं।
सन 1970 के समय गर्जिया मंदिर ने लगभग आज के जैसा रूप ले लिया था, और सन 1977 में
पुरातत्व विभाग के अनुसार यहाँ की मूर्तियाँ 800 से 900 साल पुरानी हैं, वहीं इस टीले की लंबाई लगभग 60 फीट है। माना जाता है बटुक भैरव के दर्शन के बाद ही गिरिजा माता आशीर्वाद देती हैं क्योंकि गिरिजा माता को बटुक भैरव देवता ने ही रोका था।
गिर्जिया देवी यानी की गर्जिया देवी मंदिर कई नामों से जाना जाता है। यह मंदिर माता पार्वती के प्रमुख मंदिरों में से एक है। रामनगर उत्तराखंड से लगभग 14 किलोमीटर (Km) की दूरी पर स्थित है माता का यह अद्भुत मंदिर। मंदिर छोटी पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है। यहां का खूबसूरत वातावरण खूबसूरती का एहसास कराता है।
यहाँ लोगो की आस्था है की माता जी की भभूत लेने से शरीर का दर्द, रोग, डायबिटीज, बीमारी,ऊपरी चक्कर आदि सब ख़त्म हो जाते हैं। सभी लोग यहां आकर अपने दुख-दर्द माता के आगे रखकर उसका निवारण करते हैं।
इस मंदिर में मां भगवती देवी वैष्णवी के रूप में
स्थित हैं यह मंदिर कोसी नदी के किनारे पर बना हुआ है। ढिकुली गर्जिया क्षेत्र का लगभग
3000 वर्षों का एक अपना इतिहास है।
प्रख्यात कस्तूरी राजवंश, चंद्र राजवंश और गोरखा वंश और अंग्रेज शासकों ने यहां की पवित्र भूमि का सुख भोगा है। 1940 से पहले इस मंदिर की स्थिति आज की तरह नहीं थी। उस समय इस देवी को उपटा देवी के नाम से भी जाना जाता था।
तत्कालीन लोगों की धारणा थी कि वर्तमान में गर्जिया मंदिर जिस टीले पर स्थित है,वह कोसी नदी की बाढ़ में किसी ऊपरी क्षेत्र से बह के आया था।
गर्जिया देवी माता मंदिर की मान्यताएं :
कहा जाता है मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु यहां पर घंटी का छत्र आदि चढ़ाते हैं।
वही कार्तिक पौड़ी में गंगा स्नान करके लोग माता का
स्मरण करते हैं। वहीं नवरात्रि के समय मंदिर कमेटी के द्वारा मेला लगाया जाता है।
गर्जिया देवी मंदिर में मां गिर्जा देवी सतोगुणी रूप में विद्यमान हैं जो भक्त की सच्ची श्रद्धा से प्रसन्न हो जाती हैं। यहां पर जटा, नारियल, लाल वस्त्र, सिंदूर, धूप और दीप आदि चढ़ाया जाता है और मां की वंदना की जाती है। वर्तमान में इस मंदिर में गिर्जा माता की 4.5 फीट ऊंची लंबी मूर्ति स्थापित है। इसके साथ ही माता सरस्वती, गणेश तथा बटुक भैरव की भी संग-मनमर मूर्तियां यहां पर स्थापित हैं। कार्तिक पूर्णिमा, मां को और गंगा के स्नान के पावन पर्व पर गिर्जा देवी के दर्शन के लाखों भक्त आते हैं। इसके अलावा गंगा दशहरा, नवदुर्गा, शिवरात्रि और उत्तरायण, बसंत पंचमी में भी काफी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं।
गर्जिया देवी मंदिर कैसे पहुंचे :
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